दरभंगा :  डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते है, साबित किया डॉ दिलशाद अनवर ने

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ज़ाहिद  अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : दरभंगा जिला शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। अभी हाल ही में यह जिला एम्स के बनने और नहीं बनने को लेकर काफी चर्चा में रहा है। लंबे समय से यहां एक से बढ़कर एक चिकित्सकों द्वारा सेवा दी जाती रही है।

इसी बीच दरभंगा के अललपट्टी चौक के पास गुड्डू रेस्ट हाउस अवस्थित डॉक्टर दिलशाद अनवर की एक क्लीनिक  बोन, ज्वाइंट एंड ट्रॉमा सेंटर* चल रही है। जिसमें स्थानीय मरीज़ के अलावा नेपाल तक के मरीज आकर अपना इलाज कराते हैं। 35 वर्षीय दिलशाद अनवर किसी पहचान के मोहताज नहीं है। बहुत ही कम समय में इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। मूल रूप से दरभंगा के पुरानी मुंसफी मोहल्ला निवासी मोहम्मद मुस्तकीम के सुपुत्र डॉ दिलशाद अनवर पिछले कुछ वर्षों मे पारस अस्पताल और आरबी मेमोरियल अस्पताल में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। हमेशा चुनौती भरे कामों में सफलता हासिल करते रहना इनकी एक पहचान रही है। ये एक ऑर्थोपेडिक सर्जन है जिन्होंने एएमयू से अपनी पढ़ाई पूरी कर के दरभंगा में सेवाभाव से लग गए। जनकपुर नेपाल निवासी रिजवाना खातून जिसकी उम्र लगभग 24 वर्ष है बोन टीवी की शिकार थी। बीमारी इतनी बढ़ गई थी कि चलना तो दूर बैठ भी नहीं सकती थी। उनकी मां सकीना खातून ने बताया कि कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद सभी डॉक्टर ने ऑपरेशन ही करने की सलाह दी जिसमें काफी खर्च भी बताया।

 गरीब मजदूर परिवार से संबंध रखने वाली समीना, रिजवाना के इलाज के लिए खर्च को लेकर हिम्मत हार चुकी थी। इसी बीच किसी ने उन्हें बोन ज्वाइंट एंड ट्रॉमा सेंटर क्लिनिक दरभंगा का पता बताया। रिजवाना खातून को वहाँ लाया गया। डॉ दिलशाद अनवर ने मरीज को देखने के बाद बताया कि मैं पहले दवा से मरीज को ठीक करने की कोशिश करता हूं अगर कुछ फायदा दिखा तो ऑपरेशन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मरीज के विश्वास और डॉक्टर दिलशाद अनवर की मेहनत रंग लाई है। महज 6 महीने के लगातार दवा खाने के बाद रिजवाना खातून को मानो एक नई जिंदगी मिल गई हो। अब वह बैठ भी सकती थी और चल भी सकती थी।

डॉ दिलशाद अनवर ने बताया कि रिकवरी काफी अच्छा है और उम्मीद करते है कि दवा के कोर्स की अवधि पूरा होने तक मरीज़ बिल्कुल ठीक हो जाएगी। उनके इस सफलता को सुनकर चिकित्सा जगत में खुशी की लहर दौड़ गई। डॉक्टर ए एन आरज़ू, डॉ आफाक, डॉक्टर अकील सिद्दीकी, डॉक्टर अब्दुल वहाब, डॉ रत्नेश कुमार, डॉक्टर ज्योति कर्ण, डॉ दिवाकर, डॉक्टर अभिषेक बोस, डॉक्टर पंकज, अनवर करीम सहित परिवार और मोहल्ले वासियों ने उन्हें बधाइयां दी और उज्जवल भविष्य की कामना भी की।


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