मनीगाछी/दरभंगा/बिहार : आशा अपनी सरकारी सेवक एव 18 हजार रुपए की मासिक मानदेय व 12 सूत्री की मांग लगातार कर रही है। महिला सशक्तिकरण का ढोंग करने वाली सरकार के तरफ से लगातार इस माँग को अनसुनी की जा रही है। कई राज्य में आशा को मानदेय मिल रहा है लेकिन बिहार में आशा से लगभग दस साल पूर्व निर्धारित प्रोत्साहन राशि पर ही कार्य लिया जा रहा है। 29 जून 2015 को सरकार के साथ मासिक मानदेय भुगतान के लिखित समझौता के बावजूद उसे तीन साल ज्यादा समय बीत जाने पर भी लागू नही किया गया है।
इस को लेकर पीएचसी के मुख्य द्वार पर आशा कर्मियों के द्वारा 38 दिनों से चली आ रही अनिश्चितकालीन हड़ताल व 2 जनवरी से चल रही भूख हड़ताल में रहने के कारण आशा संघ अध्यक्ष समुद्री कुमारी व पुनम देवी की हालत बिगड़ते देखकर तत्काल पीएचसी में मौजूद डॉ रजा आलम के देखरेख में स्लाईन चढाया जा रहा है। अपने सहकर्मि की हालत देखकर वहां मौजूद अन्य आशा के द्वारा सरकार के विरूद्व आक्रोशित हो गई। वहीं सरकार के द्वारा कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने से सरकार के प्रति आक्रोश बढती जा रही है। वहीं पीएचसी में कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल कायम हो गया।
बता दें कि आशा के द्वारा जारी हड़ताल से टीकाकरण, परिवार कल्याण सहित सभी स्वास्थ्य सेवा पुर्णतया ठप्प पड़ा हुआ है। आखिर सरकार जब समझौता किया है तो उसे लागू क्यो नही कर रही है? मौके पर सावित्री देवी, रंजू देवी, विभा देवी, सुनैना देवी, रेखा देवी, खुर्शीदा खातुन, नीलम देवी, बबीता देवी, जया रानी, ललिता देवी सहित कई अन्य आशा कर्मी उपस्थित थी।