सुपौल : छातापुर में ग्रामीण सड़क निर्माण की आड़ में हरे वृक्षों की कटाई धड़ल्ले से जारी, वन माफियाओं की चांदी

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इरशाद आदिल 
संवाददाता
छातापुर, सुपौल

छातापुर/सुपौल/बिहार : पर्यावरण संरक्षण के निहित हमारे आस पास पर्याप्त हरियाली होना आवश्यक है। पेड़ पौधे नहीं रहेंगे तो हमें ताज़ी व स्वच्छ हवा नहीं मिल पायेगी। कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की हमारे और समस्त जैव समुदाय के जीवों के लिए पेड़ पौधे जीवन के समान हैं। जीवन की सुरक्षा व पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा व्यापक तादाद में वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहे हैं। यहाँ तक की सामुदायिक स्तर पर भी आम जनो को पेड़ पौधे लगाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है । इसके पीछे सरकार का एक ही मकसद है  पर्यावरण को किसी तरह से बचाना। लेकिन पर्यावरण बचाने की बजाय वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत व अकर्मण्यता से पेड़ पौधों की अवैध कटाई कर पर्यावरण को नित्य नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिससे आम जन जीवन पर प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है।

ताजा मामले में छातापुर प्रखंड के चुन्नी पंचायत स्थित वार्ड नंबर 01 में बन रही ग्रामीण सड़क जिसका निर्माण मनरेगा योजना से किया जा रहा है। संवेदक द्वारा मिट्टी भराई कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, वहीं व्यापक तादाद में पुराने हरे वृक्षों को काटकर सड़क किनारे रखा है। ग्रामीणों की माने तो दो दर्जन से अधिक मोटे मोटे पेड़ प्रभावशाली लोगो के बीच आपस में वितरित कर लिया गया जिससे सरकार को लाखों के राजस्व की क्षति हुई है। यह तो बानगी भर है जबकि प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में इन दिनों  हरे भरे पेड़ों की अवैध कटाई जोर-शोर से हो रही है। लगातार हरे भरे वृक्षों की कटाई से वृक्षों की संख्या घटती जा रही है। साथ ही प्रदूषण विकराल रूप अख्तियार करता जा रहा है। जिसका असर पर्यावरण समेत कृषि कार्यों पर भी पड़ रहा है। औसत से भी कम वर्षा होने की वजह से अबकी साल प्रखंड क्षेत्र को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया है।

स्थानीय लोगों के असहयोगात्मक रवैए के कारण यह प्रखंड हरियाली से दूर होता जा रहा है। हालांकि वन विभाग के द्वारा अपने स्तर से नर्सरी तैयार कर प्रखंड क्षेत्रों के नदी किनारे समतल मैदानों व सड़कों के किनारे पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है। जिसके लिए सरकार द्वारा अभियान चलाकर विभाग को प्रतिवर्ष अलग से राशि भी उपलब्ध करायी जा रही है। बावजूद अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। वन विभाग द्वारा छापेमारी नहीं किये जाने के कारण वन माफियाओं की चांदी कट रही है। वन विभाग के अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी की मिली भगत से वृक्षों को काट कर कच्ची लकड़ी लाने वाले छोटे बड़े लकड़ी विक्रेताओं पर कार्रवाई नहीं कि जा रही है।

इस बावत अंचलाधिकारी सुमित कुमार सिंह ने बताया कि राजस्व कर्मचारी को जांच के लिए भेजा जा रहा है, जाँचोपरांत उचित कार्रवाई की जाएगी ।


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