बिहार : एस सी / एस टी एवं ओ बी सी के आरक्षण को संसद के द्वारा कानून बनाने कर मजबूत किया जाए- अमीर-ए- शरीयत

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प्रेस विज्ञप्ति :

फुलवारी शरीफ /पटना/बिहार : अमीर-ए- शरीयत हज़रत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी साहब ने इमारत शरिया में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा है कि एस सी / एस टी तथा ओ बी सी जे के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन वर्गों की स्थिति के विरुद्ध है जिस से उन्हें सख्त नुकसान होगा ।

उन्हों ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने सामाजिक , आर्थिक, शैक्षिक तथा सांसकीर्तिक रूप से कमजोर, दबे कुचले और शताब्दियों से ताकतवारों के ज़ुल्म के शिकार लोगों को न्याय देने तथा उन्हें समाज में बराबरी का अवसर देने के लिए संविधान में ऐसे लोगों के लिए शिक्षा, रोजगार तथा राजनीति में आरक्षण का प्रावधान रखा था। आरक्षण का प्रावधान उस सामाजिक और सांसकीर्तिक असमानता की क्षतिपूर्ति के लिए है जो भारत के शक्तिशाली वर्ग ने यहाँ के मूलनिवासियों एवं असहाय वर्गों के साथ शताब्दियों से अपना रखा था । आरक्षण ही वह रास्ता है जिस से निर्बलों को बल, बेज़बानों को ज़बान और दबे कुचले लोगों को सर उठाने की शक्ति मिलती है। अगर यह रास्ता बंद कर दिया जाएगा तो भारतीय समाज एक बार फिर उसी असमानता, अन्याय एवं ज़ुल्म की ओर चल पड़ेगा।

इस लिए मेरा साफ कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन वर्गों के लिए बहुत ही हानिकारक है । एस सी /एस टी, ओ बी सी तथा अन्य असहाय वर्गों के अधिकार की आवाज़ को सभों को मिल कर बंद करनी चाहिए और देश में सी ए ए, एन आर सी एवं एन पी आर के विरुद्ध जो प्रदर्शन हो रहे हैं उन में आरक्षण के मुद्दे को भी जोड़ना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह फैसला केन्द्र् की भाजपा सरकार के दबाव में दिया गया है । क्यूंकि भाजपा एवं आर एस एस हमेशा से आरक्षण विरोधी रही है । पहले भी राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के प्रवक्ता  मदन मोहन वैद्य आरक्षण को अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने वाला बता चुके हैं। जिस से स्पष्ट है कि आर एस एस आरक्षण को समाप्त करना चाहता है । भारत  सरकार का दायित्व है कि आरक्षण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए और उस के लिए संसद से मजबूत कानून पास करे ताकि आरक्षण सुरक्षित हो सके और उस पर  किसी प्रकार का चैलेंज न किया जा सके । 

इस प्रेस कान्फ्रेंस में पूर्व मुख्य मंत्री बिहार जीतन राम मांझी , बामसेफ के प्रदेश प्रभारी राम लगन मांझी एवं इमारत शरिया के कार्यवाहक सचिव मौलाना मोहम्मद शिबली कासमी भी उपस्थित थे ।


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