मतदाता सत्यापन कार्यक्रम की अंतिम तिथि में शीध्र हो विस्तार

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भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा देश भर में गत 1 सितंबर से 15अक्टूबर 2019 तक मतदाता जाँच और सत्यापन जैसे अहम कार्यक्रम (ईवीपी) आयोजित करवाए जा रहे हैं जो एक सराहनीय प्रयत्न है।  इससे जहाँ वैध मतदाताओं की पहचान हो पाएगी वहीं अवैध मतदाताओं की छँटनी को आसान बनाया जा सकेगा। इसके अलावा नए वोटरों का नाम शामिल करने, प्रविष्टियों में संशोधन,व मृत और स्थानांतरित मतदाताओं के विलोपन का कार्य भी साथ साथ किया जा रहा है। जिनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है उन्हें वोट देने का प्रजातांत्रिक अधिकार प्राप्त होता है जो किसी भी नागरिक के लिए गौरव की बात है।

          इस राष्ट्रव्यापी अभियान को सफल बनाने में हम सबों को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। जाहिर है ऐसे महत्वपूर्ण कार्य को सम्पादित करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए ताकि कोई भी इससे वंचित न रह सके। सत्यापन हेतु आवश्यक कई दस्तावेजों में से एक प्रमुख  “आधार कार्ड” बनाने, उसमें सुधार करवाने की सुविधा को सीमित कर दिया गया है।अब प्रखंड अनुमंडल व जिला मुख्यालय में एक या दो केंद्र ही आधार कार्ड बनाने के लिए अधिकृत हैं , जिससे आमजनों की बढ़ती भीड़ से उन्हें काफी असुविधा होती है।जबकि किसी भी तरह के आवश्यक कार्य के लिए अब “आधार कार्ड” प्रमुखता से माँगा जाता है।आधार कार्ड की महत्ता के मद्देनजर आवश्यकता है कि आधार पंजीकरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए।सुदूर गाँव देहातों में बेहतर नेटवर्क सुविधा न होने के कारण आनलाईन सत्यापन में थोड़ी परेशानी होती है।इसके अलावा व्यापक स्तर पर जनजारुकता की कमी से भी लोगों में पर्याप्त जानकारी का अभाव रह सकता है।अधिकांश बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) सरकारी स्कूलों के शिक्षक होते हैं जिन्हें  इस महत्वपूर्ण कार्य के साथ ही साथ विद्यालय में शैक्षणिक कार्य भी करने पड़ते हैं। बिहार जैसे राज्य इन दिनों अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा से जुझ रहे हैं ऐसे में उनके लिए मतदाता सत्यापन जैसे कार्यक्रम का हिस्सा बनना थोड़ा कठिन जरूर लगता है। निश्चय ही मतदाता सत्यापन कार्यक्रम की इस सीमित अवधि में विस्तार की जरूरत है ताकि हर मतदाता सहजता से अपना सत्यापन करवा सके और यह राष्ट्रव्यापी अभियान अपने उद्देश्यों में सफल हो सके।

स्थानीय स्तर पर अधिकांशतः बूथ लेवल आफिसर (बी०एल०ओ०)ने तत्परता दिखाते हुए मतदाताओं से आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति, सहित अन्य दस्तावेजों का संग्रह तो कर लिया है और संबंधित विभाग के पास जमा भी कर दिए हैं परंतु उसे आनलाइन अपलोड करने की प्रक्रिया कितनी तेजी से हो रही है यह विचारणीय पहलू है। बी०एल०ओ० अपने मोबाइल से एप्प के जरिए कितने लोगों का सत्यापन कर पाए हैं इसका रिकॉर्ड सामने नहीं आ रहा है। सी०एस०पी०सेंटर के अलावा कुछ ऐप के माध्यम से अपना सत्यापन तो कर ले रहे हैं परंतु अधिकांशतः लोग अब भी इसमें विफल हैं इसकी एक वजह आधुनिक तकनीक से अनभिज्ञता भी है। 

          जैसे जैसे अंतिम तिथि नजदीक आ रही है लोगों की परेशानियाँ बढ़ती जा रही है। जाहिर सी बात है कि इतने बड़े देश में एक साथ जनसहभागिता के जरिए वोटर्स के सत्यापन काम इतने कम समय में संभव प्रतीत नहीं होता। वोटर लिस्ट को  त्रुटिरहित बनाने के लिए हरहाल में ज्यादा समय देना ही होगा। हालांकि विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और छात्र संगठनों के कार्यकर्ता इस राष्ट्रव्यापी अभियान में लोगों को जागरूक बना रहे हैं और यथासंभव आनलाईन की प्रक्रिया में सहयोग भी दे रहे हैं।

         भारत निर्वाचन आयोग को इस संबंध में गहन विमर्श करना चाहिए और समय सीमा में विस्तार की घोषणा जल्द करनी चाहिए ताकि लोगों में संयम बना रहे और आमजन सही सही अपना सत्यापन करवा सके।                     

      मंजर आलम 

(स्वतंत्र टिप्पणीकार)

★ लेखक विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर प्रमुखता से अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं।


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